आज एक चिड़िया अपनी चोंच में एक कतरा
धूप भर कर मेरे कमरे मे डाल गई,
मुझे हिकारत से देखा और, कुछ जलते हुआ प्रश्न उछाल गई,
क्या ए.सी.मे रहने वालो को गर्मी नही लगती,
प्यास से सूखते गले मे सुइयां नही चुभतीं,
कब तक और कितने तरीकों से बचाओगे अपने अस्तित्व को,
कैसे कैसे महान बनाओगे खुद के व्यक्तित्व को,
ठण्डी हवायें कब तक रहेंगी आस पास,
कब तक ना लगेगी तुमको प्यास,
खेत,खलिहान,तालाब,पोखर,बाग,
नेह,मेह,सम्वेदना,संगीत,राग,
बना दो सब को बोनसाई,
इसांन बना ईश्वर ये आवाज़ चिड़िया ने लगाई,
रहो अपने स्वार्थ और लालच के संसार में,
इस एक कतरा धूप को भी बेंच दो बाजार में,
जाते जाते ए.सी.का ठण्डापन, मेरी सोंचों मे भर गई,
और वो एक कतरा धूप अपनी चोंच से मेरे कमरे में धर गई...
मुझे हिकारत से देखा और, कुछ जलते हुआ प्रश्न उछाल गई,
क्या ए.सी.मे रहने वालो को गर्मी नही लगती,
प्यास से सूखते गले मे सुइयां नही चुभतीं,
कब तक और कितने तरीकों से बचाओगे अपने अस्तित्व को,
कैसे कैसे महान बनाओगे खुद के व्यक्तित्व को,
ठण्डी हवायें कब तक रहेंगी आस पास,
कब तक ना लगेगी तुमको प्यास,
खेत,खलिहान,तालाब,पोखर,बाग,
नेह,मेह,सम्वेदना,संगीत,राग,
बना दो सब को बोनसाई,
इसांन बना ईश्वर ये आवाज़ चिड़िया ने लगाई,
रहो अपने स्वार्थ और लालच के संसार में,
इस एक कतरा धूप को भी बेंच दो बाजार में,
जाते जाते ए.सी.का ठण्डापन, मेरी सोंचों मे भर गई,
और वो एक कतरा धूप अपनी चोंच से मेरे कमरे में धर गई...
जाते जाते ए.सी.का ठण्डापन, मेरी सोंचों मे भर गई,
जवाब देंहटाएंऔर वो एक कतरा धूप अपनी चोंच से मेरे कमरे में धर गई...
beautifully expressed.
कविता तो अपनी जगह बहुत अच्छी है ही..
जवाब देंहटाएंलेकिन जाते-जाते आपने जो कमेन्ट चिटठा चर्चा पर किया है, बस, मुझ समेत बहुतों को आईना दिखा दिया,
आपका धन्यवाद
bahut hi jyada achhi kavita hai...inexplicable
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अदा जी ,,मेरी कोई बात आपको समझ आई ,ये सौभाग्य है मेरा ....मेरा कहना सार्थक हो गया ..बहुत धन्यवाद आपका ..
जवाब देंहटाएंअमित जी ,आभारी हूँ रचना पसंद आने पर आपने अपनी पसंदगी से मुझे अवगत कराया
जवाब देंहटाएंशिवांगी ,मुझे प्रसन्नता है कि तुम कविताएँ पढ़ती और पसंद करती हो ....
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