रविवार, 8 जुलाई 2012

गिला

कितना सारा गिला,
इंतज़ार बिजली के आने का,
संशय सवेरे ना उठ पाने का,
गैस का खतम होता सिलेंडर,
अन्ना के सामने कांग्रेस का डिफेंडर,
साल की सबसे अधिक ठंडी रात,
गुज़ार दी तनहा तुम्हारी यादों के साथ,
यादें बता देती है उम्र का तकाजा,
साँसों से कहता है प्राण,अभी ना जा,
जीवन भर साथ चलते है शिकवे गिले,
जैसे कल रात ख़्वाब में तुम मुझे नही मिले,
पर कैसे कहूँ नज़रों के सामने थे तुम,
राह भटकी जब कोई मुझे थामते थे तुम,
माह गुज़रे साल गुज़रे गिले बांकी रह गए,
ख़्वाबों में यादों में मौन ही सब कुछ तुम कह गए,
अब शेष हूँ मै, तुम्हारे ख़्वाब, तुम्हारी याद,
वो जगह, जहां पहली बार, तुमसे मिला,
और कुछ शेष है, तो वो है सिर्फ गिला, सिर्फ गिला,सिर्फ गिला......

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