भ्रष्टाचारी की परिभाषा गढता हूँ मै,
भ्रष्टाचारी के बारे में पढता हूँ मै,
भ्रष्ट हो कर ये मच्छर बन गए है मगर,
इनकी लीला है जारी हर गांव शहर,
भरोसा न कोई कब ये क्या सोंच लें,
न कोई धर्म इनका न जाती कोई,
मानवता भी इनसे लजाती हुई,
पुतले भ्रष्टता के चाहे लाखों फूंक लो,
इनके चेहरे पे चाहे जितना थूंक लो,
जरा सा भी ये स्वाभिमानी नहीं है,
इनकी आँखों में लज्जा का पानी नहीं,
रिश्वत ही बस इनका ईमान है,
परले दर्जे के साले ये बेईमान है,
वो निकम्मी ये कांग्रेस सरकार है,
इंसानियत नही इनमे पत्थर है ये,
जो बदतर से भी ज्यादा हो बदतर है ये,
बनाते है ये लाशों पर महल,
टूटे पांवों से भी लेते है टहल,
राष्ट्र को भ्रष्टाचारी भ्रष्ट करते रहे,
इनको सह कर सभी साथ देते रहे,
अभी भ्रष्टता का है जारी कहर,
नस नस में इनके भरा है जहर,
पर अन्ना ने इनकी कमर तोड़ दी,
एकता की लड़ी बाहुनर जोड़ दी,
चल पडी देश में ऐसी आंधी नई,
जैसे पैदा हुआ हो फिर से गांधी कोई,
फिर गुलामी की जंजीरें तोड़ेंगे हम,
पंक्ति इतिहास में नई जोडेंगे हम,
यज्ञ में आज मिलकर करो सब हवन,
मेरा स्वीकार अन्ना करो अब नमन..