शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे,हम आपके आप हमारे....

कई ब्लोगर्स ने अपनी पोस्ट के माध्यम से "अन्ना जी" को अपना समर्थन दिया है, अपनी शैली में हमने भी प्रयास किया है ज़रा देखें...
अन्ना हजारे,हम आपके आप हमारे..

सन १९६५ में भारत , पकिस्तान युद्ध के दौरान सेना में ट्रक ड्राइवर की नौकरी करने वाले "अन्ना हजारे" भ्रष्टाचार के विरोध में हिन्दुस्तान के अंदर सागरमाथा जैसा आंदोलन करेंगे, शायद किसी ने भी सोंचा नही होगा, विदेशी दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली सेना में रह कर तो उन्होंने ने देश कि सेवा कि ही थी, लेकिन अब देश के अंदर मौजूद सबसे बड़े दुश्मन यानि भ्रष्ट्राचार को देश से समाप्त करने के लिए संकल्पित हैं,

आइये एक नज़र डालते है अन्ना हजारे के नाम से प्रसिद्ध किसान बाबूराव हजारे के जीवन के अनदेखे पन्नों पर.......

सर्वप्रथम देशसेवा...मेग्सेसे पुरूस्कार से सम्मानित अन्ना जी का जन्म महाराष्ट्र में अहमद नगर जिले के रोलेगन सिद्धी गाँव में १५ जून १९३८ को हुआ था. इनके पिता एक किसान थे. अन्ना हजारे १९६३ में भारतीय सेना का हिस्सा बने. भारत, पाकिस्तान लड़ाई के दौरान वह खेमकरन सेक्टर में तैनात थे. यहाँ पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में प्रचंड बमबारी की. इस लड़ाई में अन्ना जी ने अपने साथियो को मातृभूमि पर बलिदान होते देखा. इसके बाद इन्होने कभी विवाह ना करने कि सौगंध खाई. १९६० मे ड्राईवर के पद पर रहते हूए उन्होंने रबीन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी, विवेकानंद,और आचार्य विनोबा भावे के बारे में रिसर्च की. अन्ना जी आज भी अपने गांव में यादव बाबा मंदिर के पास बने छोटे से कमरे में निवास करते हैं...

फिर समाज सेवा..

१९७५ में सेना से स्वेक्षिक सेवा निवृत्ति लेने के पश्चात वह अपने गाँव रोलेगन सिद्धी लौट आये.गाँव में सूखा, गरीबी, अपराध, और शराबियों का बोलबाला था, उन्होंने इन सब समस्याओं का सामना करते हुए गाँव वासियों को नहर बनाने और तालाबों में वर्षा जल को एकत्र करने के लिए प्रोत्साहित किया, और अन्य कई प्रकार के सामाजिक कार्यक्रम चलाए जिसके कारण रोलेगन सिद्धी गाँव अन्य सभी गांवों के लिए आदर्श गाँव बन गया, इस साहसिक प्रयास के कारण वो पूरे देश में प्रसिद्ध हो गए.

आंदोलन...

उसी समय उनका सामना महाराष्ट्र के वन विभाग के अधिकारियों से हुआ. वह पुणे के पास आलंदी के पास भूंख हड़ताल पर बैठ गए. उनके आंदोलन ने समूचे प्रशाशन को हिला कर रख दिया और प्रशाशन को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विवश होना पड़ा. उन्होंने १९९१ में "भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन" का गठन किया जो आज पूरे देश में फ़ैल गया है. देश में सूचना के अधिकार का विचार अन्ना जी ने १९९७ में दीया. इसी वर्ष अन्ना जी ने सूचना का अधिकार प्राप्त करने के लिए जन जागृति अभियान चलाया. जिसके कारण केन्द्र सरकार को २००५ में "सूचना का अधिकार क़ानून" बनाने के लिए विवश होना पड़ा..


और अब....जन लोक पाल बिल...

जस्टिस संतोष हेगड़े,प्रशांत भूषण,और अरविन्द केजरीवाल द्वारा बनाया गया यह विधेयक लोगों के द्वारा वेबसाइट पर दी गई प्रतिक्रिया और जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है. इस बिल को शांति भूषण, जे.एम्.लिंगदोह, किरन बेदी, अन्ना हजारे आदि का भारी समर्थन प्राप्त है. इस बिल की प्रति प्रधान मंत्री एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को १ दिसंबर को ही भेज दी गई थी..


जन लोकपाल बिल की खास बातें..

१. इस क़ानून के अंतर्गत, केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा.
२. ये संस्था निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट की तरह सर्कार से स्वतंत्र होगी.
कोई भी नेता या सरकारी अधिकारी जाँच की प्रक्रिया को प्रभावित नही कर पाएगा.
३. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कई वर्षों तक मुक़दमे लंबित नही रहेंगे. किसी भी मुक़दमे की
जाँच एक वर्ष में पूरी होगी. ट्रायल अगले एक वर्ष में पूरा होगा भ्रष्ट नेता, अधिकारी या
जज को दो वर्ष के अंदर जेल भेजा जाएगा.
४. अपराध सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों के द्वारा सरकार को हुए घाटे को वसूल किया जाएगा.
५. यदि किसी नागरिक का काम तय समय सीमा के भीतर नही होता, तो लोकपाल
दोषी अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा और वह जुर्माना शिकायत कर्ता को मुआवजे के रूप में
मिलेगा.
६. अगर आप का राशन कार्ड, मतदाता पहचान पात्र, पासपोर्ट आदि तय समय सीमा के भीतर
नही बनता है या पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नही करती तो आप इसकी शिकायत लोकपाल
से कर सकते है और उसे यह काम एक माह के भीतर कराना होगा. आप किसी भी प्रकार
के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकपाल से कर सकते है जैसे सरकारी राशन की कला बाजारी,
सड़क बनाने में गुणवत्ता की अनदेखी, पंचायत निधि का दुरूपयोग. लोकपाल को इसकी जाँच
एक साल के भीतर पूरी करनी होगी. ट्रायल अगले एक वर्ष में पूरा होगा और दोषी को दो वर्ष
के भीतर जेल भेजा जाएगा.
७. क्या सर्कार भ्रष्ट और कमजोर लोगों को लोकपाल का सदस्य नही बनाना चाहेगी?
ये मुमकिन नहीं है क्यों की लोकपाल के सदस्यों का चयन जजों, नागरिकों और संवैधानिक संस्थानों
द्वारा किया जरगा ना की नेताओं के द्वारा. इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से और जनता की भागीदारी से
होगी.
८. अगर लोकपाल में काम करने वाले अधिकारी भेष्ट पाए गए तो? लोकपाल/लोकयुक्तों का कामकाज पूरी
तरह पारदर्शी होगा.लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जाँच
अधिकतम दो माह में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा.
९. मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक संस्थानों का क्या होगा? सीवीसी, विजिलेंस विभाग, सीबीआई के भ्रष्टाचार
निरोधक विभाग का लोकपाल में विलय कर दिया जाएगा. लोकपाल को किसी जज, नेता या अधिकारी
के खिलाफ जाँच करने व मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ती और व्यवस्था भी होगी..