सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

मान्यता...


घुमक्कड़ी प्रवृत्ति कहाँ ले जाए कुछ पता नही होता.....बड़ा नाम सुना था चूड़ेश्वर महादेव जी का गंजमुरादाबाद से दाहिनी ओर मुड़ कर करीब 4 किलोमीटर पैदल चल कर मैं पहुँचा फूलगढ़ गाँव (फुलई) इसी गाँव में स्थित हैं भगवान चूड़ेश्वर महादेव जी का भव्य मंदिर....ये परकोटा शैली में हैं और लगभग 1850 ईस्वी में निर्मित किया गया है...चूँ कि ये स्वर्गीय पण्डित हुलास रॉय तिवारी और उनके अनुज स्वर्गीय लक्ष्मन प्रसाद तिवारी जी सानिध्य में बनवाया गया था अत: आज भी उन्ही परिवार के लोगों द्वारा मंदिर की देखभाल और रखरखाव किया जाता है..
मंदिर से इस परिवार की कुछ कृषि योग्य भूमि जोड़ दी गई है....
लगभग दो फुट चौड़ी एक दीवार से मंदिर चारो ओर से घिरा हुआ है. चारो कोनो पर एक एक अष्टभुजाकार चबूतरा बना है..मंदिर में पुजारी जी के निवास की अति उत्तम व्यवस्था है.... मंदिर के अंदर विशालाकार में भगवान शिव जी प्रतीक लिंग रूप में विराजमान हैं..भगवान के सम्मुख ही नंन्दी जी विनम्र स्वरूप में अवस्थित हैं.....मंदिर के साथ ही एक तालाब का भी निर्माण कराया गया था जिसे अब गाँव







 के लोगों नें पाटना शुरू कर दिया है.....मंदिर की जमीन और आस पास की जमीन पर भी कुछ दबंग लोगों नें कब्जा करना प्रारम्भ कर दिया जिससे मंदिर का मूल स्वरूप भी प्रभावित हो रहा है.......

गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

ओ री होरी..



होरी है सिर पर ठाढ़ी,
मैं का करौं गुइयाँ,

पेड़न से जबसे महुआ चुवत है,
पुरवा हवा मोरी देही छुवत है,
जियरा मा धुक धुकी बाढ़ी, 
मैं का करौं गुइयाँ,
होरी है सिर पर ठाढ़ी, मैं का करौं गुइयाँ,

सपनेहु साजन लोरी सुनावैं,
बातन हमका दुनिया देखावैं,
गाले मा जब चुभी दाढ़ी,
मै का करौं गुइयाँ,
होरी है सिर पर ठाढ़ी, मैं का करौं गुइयाँ,

पाँव धरनि पर ना धरै देवैं,
पल पल हमका गोदी लेवैं,
लाज बहुत है गाढ़ी,
मै का करौं गुइयाँ,
होरी है सिर पर ठाढ़ी,मैं का करौं गुइयाँ।