अपनी इस रचना के माध्यम से मै अपने विलुप्त हुए
बालों को श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ ............
बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
डाबर आंवला तेल लगा के खूब किया रखवाली,
धोखा खा गए फिर भी मित्रों खेत हो गया खाली,
फिर भी खेत हो गया खाली,
बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
लटें कभी थी मेरी यारों काली सी घुंघराली,
बेगम रह गई पीछे हम पे रीझ गई मेरी साली,
हम पे रीझ गई मेरी साली, बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
सारे जतन किये थे फिर भी कर गए हम से धोखा,
निर्गुण है घर वाली भैय्या बाल है बवाली,
छैला दीखते हम भी सर पे बाल मेरे जब छाते,
नई नई स्टाइल बना के ईलू ईलू गाते,
अब तो सर पर दिखती जाली भैय्या बाल है बवाली,
बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
बाल मेरे सर होते अब जो करली हेयर करते,
कैरेक्टर का सर्टीफिकेट वेरी फेयर भरते,
बाल मेरे लंबे थे इतने लोग समझते लड़की,
एक बार जब चोटी बनाई कमर से नीचे लटकी,
फिर पहना कान में बाली, भैय्या बाल है बवाली,
बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
यादाश्त कमजोर है इनकी उगना भूल चुके है,
केश के कारन ह्रदय में मेरे लाखों शूल चुभे है,
उजड गया है उपवन बैठ के रोता है अब माली,
बाल है बवाली भैय्या बाल है बवाली,
अब तो मित्रों बाल बाल से बाल बाल मै बचता,
अगर जो होते बाल मेरे ये रचना कैसे लिखता,
कविता बालों पर लिख डाली भैय्या बाल है बवाली,
बाल है बवाली भैया बाल है बवाली........