रविवार, 22 मई 2011

कुत्ते का प्रेम पत्र..

भावुकता के साथ मार्मिकता का संगम, हम कभी कभी करते है ह्रदयंगम,
वही दिवस वही अवसर फिर से आया है,आज हर् अपना अपने से पराया है,
कोई नहीं कहता कि कोई समझे हमको,
क्योंकि सबको है मालूम  हर् पल साथ सिर्फ अपना ही साया है .

गंभीरता के साथ पढ़ने का अवसर प्रदान करती हुई रचना भावुकता के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ.आप सभी का दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन मेरे लिए महत्वपूर्ण है ..............



मेरी प्यारी सहचरी,  मेरे मित्रो की स्वप्न परी,
बिना तुम्हारे दिल उदास रहता है,
                      जब तुम साथ होती हो दिन ख़ास रहता है,
तुम तो पढी लिखी हो,
                       अनगिनत बार ख्वाबों में दिखी हो,
मेरा ये पत्र पढ़ लेना,
                       बाद में चाहे जितना लड़ लेना,
मुझे याद आता है बचपन का वो प्रसंग,
                        जब निसंकोच घूमती थी तुम मेरे संग,
और खा जाती थी मेरे कटोरे का सारा खाना,
                         मालिक की फटकार फिर मेरे घर मत आना,
तुम चुपचाप सब कुछ सह जाती थी,
                          बंद होठो से बहुत कुछ कह जाती थी,
पर अब वो सब कुछ इतिहास हो गया,
                           मै और मेरा जूठा कटोरा तुम्हारे लिए ख़ास हो गया,
पर अपने गले में डाले वफादारी का फंदा,
                            ना उठा सका मै इन्साफ का डंडा,
सारी जिन्दगी मै जानवर बना रहा,
                            इंसान की इंसानियत को सहता रहा,
पर अब सताने लगा है बुढापा,
                            खो देता हू कभी कभी अपना आपा,
फिर बेतरह मुझे मारा जाता है,
                           ना जाने किस जन्म का मेरा तुम्हारा नाता है,
आंसुओ के धुंधलके में फिर तुम दिख जाती हो,
        उसी तरह बंद होठो से ना जाने क्या क्या कह जाती हो,
मेरा मन समझ नहीं पाता है,
           बस इतना जानता हूँ जरुर मेरा तुम्हारा किसी ना किसी जन्म का नाता है,
             जरूर मेरा तुम्हारा.....................?????
                                            
                                                                                                 आप सबका बुलबुल
                                                                                                  राजेंद्र अवस्थी {कांड} 

आम आदमी

आम आदमी की जिंदगी, राह की धूल मिट्टी गंदगी,
दुनियाँ की दुत्कार, रहीसों की बंदगी.......




सामान्य इंसान,
जीवन भर नहीं बना पता अपनी पहचान,     
रोटी,कपडा समाज की रीत,
ढूंढते उम्र सारी जाती है बीत,
सारे बाल स्याह से हो जाते है सफ़ेद,
फिर भी नहीं भर पाते जरूरतों के छेद,
कुछ न कुछ रह जाता है बांकी,
मरते दम तक फिकर रहती है माँ की,
ग्रीष्म की लपट शिशिर की सिहरन,
गृह में निपट अकेली विरहन,
रस्ता देखते हैं सब बच्चे,
boston common man sleeping grass by photographynataliaलटे से कपडे फटे से कच्छे,
आँखों में है अजब उदासी,
कर दे कोई दया जरा सी,
मेहनतकश की खाली मेहनत,
सूखी रोटी लगती नेमत,
सुबह अकेली शाम है भारी,
सफर जिंदगी का है जारी,
गाली सुनते कभी ना थकता,
फटे चीथड़ों से तन ढँकता,
जब मई जून का जले महीना,
20,000  + views. Well, I'm thrilled. Thanks to my Flickr Friends ! by H G Mपानी जैसे बहे पसीना,
बासी रोटी नमक और प्याज,
मिल कर पेट भरो सब आज,
सर्दी जब आती है भाई,
सिलनी पड़ती फटी रजाई,
गंतरिया भी गीली लगती,
भावनाएँ सब सीली लगती,
चारपाई है टूटी फूटी,
बान बिनाई झूठी झूठी,
कड़ी ठण्ड भी सहते रहते,
मजबूरी सब किससे कहते,
कभी कभी तो ऐसा होता,
बिना दूध के बच्चा सोता,
ईश्वर से भी नहीं बंदगी,
जानवर जैसी हुई जिंदगी,
नाम के बस हम है इंसान,
जाने कहाँ छुपे भगवान्, जाने कहाँ छुपे भगवान्  ............


रविवार, 8 मई 2011

माँ तेरे बिन..

Mother & Child by Stella Bluआज "मदर्स डे" है किन्तु मेरी ये समझ में नही आता, कि माँ का कोई एक दिन कैसे हो सकता है? माँ तो हमारे जीवन में हर पल हर क्षण होते हुए भी और ना होते हुए भी अपने ममत्व का सुखद अनुभव कराती रहती है, माँ के अस्तित्व को किसी दिन विशेष में नही बांधा जा सकता...



cpr mother & child by zenमाँ तुम कहाँ हो मैंने तुम्हे कभी नही देखा,

लोग बताते है तुमसे ही पैरों पर चलना सीखा,

मुझे भरोसा है लोगों की बातों पर,

कुछ गुस्सा भी आता है उन सूनी रातों पर,

जब ह्रदय में होती थी छटपटाहट,

रात्रि की नीरवता में छोटी सी आहट,

मौन करता करुण क्रंदन,

अवरुद्ध होता ह्रदय स्पंदन,

माँ तुम ही बताओ तुम्हारे बिन हम कैसे सोएं,

जी करता चीख चीख कर रोएँ,

पर अब तो मै बड़ा हो गया हूँ,

अपने पैरों पर खड़ा हो गया हूँ,

काश तुम होतीं तो कितना अच्छा होता,

तुम होती और मै छोटा बच्चा होता,

तुम्हारी गोद में सर रख कर सोता,

तुम्हारे आंचल में मुंह छुपा कर रोता,

तुम ढूंढती मै छुप जाता,

तुम बुलाती मै रुक जाता,

तुम हँसती तो मै भी हंसता,

तुम रोती तो मै भी रोता,

तुम्हारी डाट फटकार भी लगती अच्छी,

तुम्हारी चितवन सीधी सच्ची,

तुम्हारी याद नही आती,तुम सदा ह्रदय में रहती हो,

निर्मल विचार बन कर मष्तिष्क में बहती हो,

तुम्हारा स्वर गूंजता है कानो में,

डर नही लगता अब वीरानो में,

क्यों की तुम साथ हो मेरे हर पल,


हाँ तुम साथ हो मेरे हो हर पल.... हाँ तुम साथ हो मेरे हर पल....

शनिवार, 7 मई 2011

भूंख....

स्वार्थी, विश्वासघाती, हर पल मिला करते है,आस्तीनों में सांप पला करते है,सीख लो बीन बजाना तुम भी, संपोले हर घर में घुसा करते है...

                                                       कल शाम मेरे पुराने मित्र मेरे घर पधारे,
I sure is Hungree!! by flava4life84उन्हें देखते ही मैंने कहा- अहो भाग्य हमारे,
जो आप जैसे महापुरुष का दर्शन हुआ,
शायद मेरे स्नेहिल शब्दों ने- मित्र के अंतर्मन को छुआ,
बोले- क्या बताऊँ जब से वो मायके गई है,
खाने की समस्या खडी हो गई है,
आज कल मित्रों के यहाँ खा रहे है,
ये बताइये- आज आप क्या बनवा रहे है,
हमने कहा- ईमानदारी की रोटी,
इंसानियत की बोटी,
मजबूरी का पुलाव,
वो बोले- बस करो हमको ये सब मत खिलाओ,
P1080719 by hearts and laserbeamsगर खिलाना ही है,तो रिश्वत की रोटी बनवाइए,
बेईमानी की आग में सिंकवाइये,
मै सब खा जाऊंगा,
खाने के बाद डकार भी नही लाउंगा,
मैंने कहा प्यारे- बड़े उच्च विचार है तुम्हारे,
यही हाल रहा तो एक दिन सारे देश को खा जाओगे,
भूंख के कारन अपनी जान पर खेल जाओगे,
मित्र बोले- ये क्या बक रहे हो,
बिलकुल दुश्मन लग रहे हो,
मैंने कहा- वर्तमान परिवेश में तो दुश्मन ही सच बोलता है,
दोस्त तो मित्रता की आड़ ले कर पीठ में छुरा भोंकता है.....

गुरुवार, 5 मई 2011

टिप्पणी "ना क"रें...

ह्रदय वेधी व्यथा, एक अदद टिप्पणी की कथा, कविताओं,लेखों,और ब्लागरों के संस्मरणों को टिपियाते टिपियाते एक अरसा बीत चला है! किन्तु किसी भी ब्लागर की नज़रें इनायत मेरी किसी भी रचना पर नही हुई कि कोई मुझे भी टिपिया देता,
जैसे अन्ना हजारे ने केन्द्र सरकार को टिपियाया है, कि सरकार टिपिया भी गई और टिपियाने का बुरा भी नही माना,
अब तो मै मानने लगा हूँ, कि टिप्पणी का प्राप्त होना भी सौभाग्य की निशानी है, सौभाग्यशाली मै भले न होऊ,
किन्तु टिप्पणी के संबध में मै "लक्की स्टार हूँ",
इतना टिपिया चुका हूँ लोगों को, कि लगता है जैसे मै पेशेवर टिप्पणीकार हूँ,
एकबार सड़क पर जा रहे एक भले मानुष को टिपिया दिया, उसने भी पलट कर मुझे टिपियाया,
पर उसके टिपियाने में और मेरे टिपियाने में थोडा फर्क था,
मैंने तो इकलौती जबान से टिपियाया था,
उसने अपने सारे शारीरिक अवयवों के साथ मुझे टिपिया दिया, घर आया तो पत्नी और बच्चों ने भी टिपियाया! कि मना करती रहती हूँ हर ऐरे गैरे को मत टिपियाया करो लेकिन मेरी बात तुम मानते कब हो,
पर मै स्वभाव से जिद्दी आदत से मजबूर,
टिप्पणी करने के लिए मशहूर,
पत्नी की बात पर टिप्पणी कर दी,
उन्होंने अटैची उठा के सामने धर दी,
मायके जाने की देने लगी धमकी,
मेरे मष्तिष्क में नई टिप्पणी चमकी,
मेरा लैपटाप दे के जाना,
और बच्चो को ले के जाना,
बोली तुम तो चाहते ही हो सर से बला टले,
फिर से तुम्हारा टिप्पणियों का ट्रक चले,
मैंने कहा भाग्यवान- थोडा सोंच समझ कर टिप्पणी किया करो,
मुझसे ना सही कम से कम भगवान से डरो,
पर मुझे टिपियाने का उनको बहुत दिनों के बाद मिला था मौका,
ट्वेन्टी-ट्वेंटी  की तरह टिपियाने लगी छक्का चौका,
मैंने बोला- राखी जी संभावना,
कुछ तो समझो मेरी भावना,
पत्नी ने कहा- दुनियां में सब प्राणी एक दूसरे को टिपिया रहे है,
आपने टिपियाया तो बाहर से पिट के आ रहे है,
मुझे लगने लगा अब मेरी टिप्पणियां हो रही है स्वारथ,
क्योंकि टिप्पणी की वजह से घर में छिड़ गई थी महाभारत,
मित्रों टिप्पणी के रूप अलबेले है,
लाखों है दुर्योधन द्रोपदी अकेले है,
द्रोपदी ने एतिहासिक टिप्पणी किया था,
भरी सभा में अपमान का घूँट पिया था,
पर हम द्रोपदी नही है,ना ही दुर्योधन या दुष्शासन,
मै टिप्पणी में रखता हूँ निश्चित अनुशासन,
फिर भी क्या मालूम कब टिप्पणी बन जाए नाक रे, कृपया टिप्पणियाँ बचाएं टिप्पणी "ना क"रें...

सोमवार, 2 मई 2011

कल्पना.....


कविता भगवान की आरती है,कविता माँ भारती है,                        

कविता यानि "रसात्मक काव्य" हम सबके जीवन में विभिन्न शैलियों में मौजूद है.
अलग अलग रस युक्त काव्य लेखन भारतवर्ष में पुरातन काल से हो रहा है.. कविता कि महिमा को शब्दों में व्यक्त कर पाना बहुत मुश्किल है
namu rangolee by papssapa

कविता कवी की कल्पना है,
कविता रंगोली की अल्पना है,
कविता उगते सूर्य की चमक है, पायल की छमक है,
कविता हिमालय की ऊंचाई है सागर की गहराई है,
कविता शहनाई है तपती दोपहर में अमराई है,
कविता बचपन है आँखों का गीलापन है,
कविता अमीर है कविता ज़मीर है,
कविता राम है रहीम है,कविता महा है महिम है,
कविता अविरल धार है,कविता सच्चा प्यार है,
Payal by Neha Thakurकविता भाषा है उम्मीद की किरण है आशा है,...
जीवन की परिभाषा है,...
कविता हमारा राष्ट्र है देश है,ग्रामीण परिवेश है,
कविता गौरव है शान है,हमारा अभिमान है,
कविता रसात्मक काव्य है,अज्ञानी का दुर्भाग्य है,
कविता चंचल है चपलता है,कविता शब्दों की प्रबलता है,
कविता रस है रसना है,रोना है हंसना है,
कविता अमृत है विष है वेलेंटाइन का किस है,
कविता की महिमा अपार है,
कवितामय सारा संसार है....