आओ चलो मर चुके रिश्तों को दफना दें,
साथ साथ साथ था,
रात मधुर बावरी सी,
महकता सा गात था,
आज हम विलम्ब से,
विदाई गीत गुनगुना दें,
आओ चलो मर चुके........
भावना भी सुप्त हुईं,
बातें खूब गुप्त हुईं,
चुगलियाँ भी मुफ्त हुईं,
हाँथ अब वो छोड़ चले,
किसे हम उलाहना दें,
आओ चलो मर चुके......
नेह डोर टूट गई,
बचपन की यादें भी,
दूर कहीं छूट गईं,
वो तो हमें भूल चुके,
हम भी उन्हे बिसरा दें,
आओ चलो मर चुके......