रविवार, 26 अगस्त 2012

काली दलाली



निष्ठा और  ईमानदारी कोयले सी काली है,
इसीलिये प्यारी मुझे काली घरवाली है,
कजरारे नैनों की कंटीली सी दुनाली है,
चर्चा में मित्रों आज कोयले की दलाली है,
श्वेत श्याम नहीं कुछ श्याम श्याम खाली है,
 श्वेत खादी रोती आज संसद भी काली है,
घृणा करते है आज राजनीति से सभी,
भ्रष्ट नेताओं के कारण नेता शब्द गाली है,
भ्रष्टाचार लूटमार घोटालों की मची धूम,
भारत वर्ष बन गया किन्नर की ताली है,
जैसे चाहो वैसे काटो देश केक बन गया,
देसीघी के साथ मे विदेशी क्रीम डाली है,
हवा उल्टी दिशा से देखो आज चल रही,
बगिया उजाड़ रहा बगिया का माली है,
चहूँ ओर घोटालो की छाई आज घटा काली,
कान्हा अब राखो लाज रोवत सवाली है,

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