शनिवार, 18 अगस्त 2012

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भाई चारा प्रेम जहाँ है, मुझको वो संसार बता दो,
भस्म करे जो कुंठाओं को मुझको वो अंगार बता दो,
रिश्ते नाते मिलें जहाँ पर मुझको वो बाजार बता दो,
धुलते हों सब पाप जहाँ पर मुझको वो तालाब बता दो,
मन संताप करे जो शीतल मुझको वो आफताब बता दो,
घुमा फिरा कर बहुत कह चुके मुझको अब सब साफ बता दो,
देख सकूँ जो खुले नयन से ऐसा कोई ख्वाब बता दो,
आग पेट की बुझा सके जो ऐसा कोई यत्न बता दो,
तार दे सबको अन्त पलों में ऐसा कोई पुन्य बता दो,
समझे मेरी बात सभी बस ऐसा कोई जाप बता दो,
नेता कद मेरा हो जाए ऐसी कोई नाप बता दो,
निर्मल मन सबका हो जाए ऐसा कोई ताप बता दो ,
प्यार करे जो निश्छलता से ऐसा कोई साँप बता दो,
ले लोगे क्या प्राण मेरे तुम अभी मुझे चुपचाप बता दो,

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