रविवार, 4 नवंबर 2012

घोड़ा गाड़ी

पुतऊ बोले एक दिना,
बप्पा हम लेबे गाड़ी,
साइकिलौ खचड़िया होइ गै है,
अब लेबै हम इंजन वाली,
हम बोलेन गाड़ी का करिहौ,
मँहगाई ससुर बहुत बाढ़ी,
एकु घोड़ा तुमका लई देबे,
गाड़ी तौ जंग लगी ठाढ़ी,
पेट्रोल मा आगी लागि रही,
डीजल कऱू तेल होइगा,
गैसौ भभकि रही द्याखौ,
मिट्टी क तेलु तिली होइगा,
खुब समुझावा हाँथ जोरि,
तब छाँड़ेन उई अपने मन कै,
फिरि घोड़ा हमहूँ लई आएन,
अम्बेसडर कार जइस चमकै,
जब देखेन उई घोड़ा कइती,
तौ सिब्बल जइस खुबै भड़के,
हम पूँछि रहेन यो कइस लाग,
उइ मौन सुरन मा सब कहिगे,
अब गाँव भरे मा बम बम होइ गै,
पाहुन होइ आये संतोषा नंद(गधा ),
एकु घोड़ा लावै गए रहएं ,
लै आए गदहा मूरख चंद,
ना लेबे गाड़ी लरिकउ कहेन,
अम्मौ आँखी खुब लाल कियेन,
हम देस के मुखिया जइस गुरू,
बस मंद मंद मुस्कात रहेन।

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