रविवार, 2 सितंबर 2012

वंश बेल

चाँद तो खुश है पास अब उसके लौट फ़िजा ना पायेगी,                                
काण्डा काण्डा करते करते फिर गीता मर जाएगी,
भंवरी फंसती रोज भंवर में भाँवर ना पड़ पाएगी,
मधुमिता को अमरमणी की जीत अमर कर जाएगी,
यश भारत का पंचम स्वर में सारी दुनियाँ गाएगी,
जिस भारत को माँ कहते हैं लाज वहाँ लुट जाएगी,                                     
नारी पूजित शक्ति रूपिणी प्रेम सलिल हुलसाएगी,
फिर भी अबला निर्बल दुर्बल शोषण सब सह जाएगी,
नारी ही नारी को जब तक मदद नहीं पंहुचाएगी,
दीन दशा नित दुष्कर स्थिति पल पल बढ़ती जाएगी,
सच मानो उद्धार जगत का नारी ही कर पाएगी,
गगन ह्रदय नारी का होता धरा स्वयं हो जाएगी,                                      
प्रेम मधुरता साहस सब पर सहज सदा बरसाएगी,
कैसी दुनियाँ कैसे ज्ञानी कौन सीख समझाएगी,
दुनियाँ होगी कैसे जब नारी ही मिटती जाएगी,
नारी पोषित नही हुई तो वंश बेल कुम्हलाएगी..................

2 टिप्‍पणियां:

  1. राजेंद्र जी ब्लॉग पर आने और इतनी सुन्दर टिप्पणी देने का आभार......स्नेह बनाये रखिये ....अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर........बहुत सुन्दर है पोस्ट।

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