रविवार, 20 मार्च 2011

होली की सीख....



                           होली की सीख                         होली की सीख



लिखने के लिए हों``` पढ़ने के लिए````` या``` बोलने के लिए```` कुछ विषय``` इतने बम ब्लास्ट होते है,
कि रिक्शे वाले````खोमचे वाले````झल्ली वाले से ले कर`````` भारत के प्रधान मंत्री तक``` का ```ध्यान आकर्षित कर ही लेते है|. ऐसा ही एक विषयी त्यौहार है भारतीय होली``````होली के बारे में तो`` बहुत कुछ लिखा`` कहा`` पढ़ा गया है`````````` ना जाने क्या क्या गढा गया है,

फिर भी जो कुछ रह गया है बाँकी,
मै यहाँ  पर उसकी दिखा देता हूँ झाँकी,
उत्तर प्रदेश कि होली,
साथ में देहाती बोली,
थोडा और लुत्फ़ उठाओ,
हमारे शहर में आओ,
यानी कानपूर,
आपकी सब मस्ती हो जाएगी काफूर,
कानपुर सेन्ट्रल जैसे ही आओगे,
बड़े बड़े इंसानी छोत अपने सामने पाओगे,
बदबू से आपकी फटने लगेगी
.
.
.
नाक,
सीना होगा छलनी हसरतें चाक चाक,
पस्त हो चुके होंगे आधे हौसले,
कुली कहेगा बाबूजी थोडा कानपुर घूम लें,
जैसे ही  स्टेशन से बाहर आएँगे,
ऑटो वाले साहब कह के का सामान उठाएंगे,
बाहर जब आप सन्निपात से जागोगे,
ऑटो रिक्शा खुद चला कर भागोगे,
कुछ ही देर में आप को पता चल जाएगा,
कि आप खोटा सिक्का तो चला सकते हो पर ऑटो आप से नहीं चल पाएगा,
गुस्से से ड्राइवर जब भ्रकुटी करेगा तिरछी,
ह्रदय में चुभ जाएगी स्वाभिमान की बरछी,
फिर भी मौन रहते हुए,
अनापेक्षित यातना सहते हुए,
शुरू करोगे यादगार सफर,
ड्राइवर सोंचेगा...आज अच्छा फंसा डफर,
अचानक धीरे से लगेगा आपको जोरदार झटका,
बिगड कर कहोगे अबे कहाँ ला पटका,
ड्राइवर बोलेगा.. चिल्लाइये मत गहरी साँस लीजिये,
कानपुर कि सड़कों के गड्ढों का दर्शन कीजिए,
विभिन्न किस्म के गड्ढे आप यहाँ पाएँगे,
गलती से पहली बार आए हैं,
दोबारा नहीं आएँगे,
अब आप मौन हो जाओगे,
छुप के अपना सर सहलाओगे,
बार बार ऑटो खाएगा हिचकोले,
करोगे अनुभव जैसे धरा डोले,
पर आपके सर तो चढा होगा होली का खुमार,
क्यों की योजना बना कर आये थे बेशुमार,
अब छोटी मुसीबतों से घबराना क्या,
चाहे जितनी हो अनजान डगर लडखडा कर गिर जाना क्या,
सोंच ही रहे थे ये सब क्या है बखेडा,
तभी ऑटो के अंदर आया गोबर का थपेड़ा,
आपकी सूरत देख ड्राइवर बेसाख्ता हंसा,
ऑटो से उतरते ही पैर घुटनों तक कीचड में धंसा,
किराया सुनकर कलेजा मुंह तक आया,
ड्राइवर बोला, शुक्र करो आपसे धक्का नहीं लगवाया,
पीछे गली में गूँज रही थी गाली,
मै,पर्स,दिमाग,जेब हर जगह से हो चुका था खाली,
कानपुर आ कर मुझे अच्छी मिली सीख,
भाग्यशाली हूँ जो स्टेशन पर मांग रहा हूँ भीख,
                                          भाग्यशाली हूँ जो स्टेशन पर मांग रहा हूँ भीख......

2 टिप्‍पणियां:

आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए अग्रिम धन्यवाद....

आपके द्वारा की गई,प्रशंसा या आलोचना मुझे और कुछ अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है,इस लिए आपके द्वारा की गई प्रशंसा को मै सम्मान देता हूँ,
और आपके द्वारा की गई आलोचनाओं को शिरोधार्य करते हुए, मै मस्तिष्क में संजोता हूँ.....