हम ईद मुबारक कैसे कह दें,
जब जंग छिड़ी हो अपनों में,
और आग लगी हो सपनों में,
हम ईद मुबारक कैसे कह दें?
जब रोटी चाँद का टुकड़ा हो,
बच्चों का रोता मुखड़ा हो,
हम ईद मुबारक कैसे कह दें?
जब खून लगा हो हाँथों में,
और सूनी माँग हो माथों में,
हम ईद मुबारक कैसे कह दें?
जब कब्र में बिस्तर लगता हो,
और बस्तों में बम मिलता हो,
हम ईद मुबारक कैसे कह दें?
हम ईदी की क्या बात करें,
खुशियों की क्या सौगात भरें,
फिर ईद मुबारक कैसे कह दें?
हो तुम्हे मुबारक नादानी,
और बच्चों की ये कुर्बानी,
हम ईद मुबारक कैसे कह दें????
भले ना हो पास मेरे शब्दों का खजाना, ना ही गा सकूँ मै प्रसंशा के गीत, सरलता मेरे साथ, स्मृति मेरी अकेली है, मेरी कलम मेरी सच्चाई बस यही मेरी सहेली है..
सोमवार, 28 जुलाई 2014
ईद..
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