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मंगलवार, 18 नवंबर 2014

गीत- करवाचौथ-हुदहुद..

चाँद निकल आया जो छत पर चढ कर आई तुम,
लाज के मारे तारे छुप गये हो गये सब गुमसुम,
सुर्ख सुहानी चूनर तेरी यूँ लहराती है,
जैसे कोई गुड़िया अपने घर को जाती है,
नेह का अम्बर ओढ़े सिर पर जो मुस्काईं तुम,
लाज के मारे तारे छुप गये हो गये सब गुमसुम,
सजना तेरा सजनी साजन को बहलाता है,
बिंदिया काजल टीका गीत मिलन के गाता है,
तेरे पैरों में पायल गोरी यूँ इतराती है,
निर्मल कोई धार नदी की कल कल गाती है,
प्रेम सुधा का प्याला भर छलकाती आईं तुम,
लाज के मारे तारे छुप गये हो गये सब गुमसुम,
चाँद निकल आया जो छत पर चढ कर आई तुम,










बैरी हुदहुद का कम्पू में जब से हुआ है आना,
दिल बेइमान हुआ है मेरा मौसम हुआ सुहाना।