मंगलवार, 8 मार्च 2011

पत्नी भक्ति...

ये बार बार आज  आज लिखते लिखते बोर हो गया हूँ किन्तु क्या करूँ लिखना तो यही पड़ेगा कि आज फिर कुछ लिखने का मन किया तो लिखने बैठ गया, मन को मारना भी उचित नहीं जान पड़ता, उचित अनुचित क्या मन को मारा ही नहीं जा सकता अगर मारा जा चुका होता तो आदरणीय धर्मराज युधिष्ठिर यक्ष से न कहते कि मन ही सबसे ज्यादा गतिवान होता है,
शायद मै राह भटक गया, क्यों कि शीर्षक "पत्नी भक्ति" लिखने के बाद मन को ले कर बैठ गया,
कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए......वास्तव में पत्नी की शक्ति, धैर्य और उनकी क्षमताओं को नकार पाना किसी के बस में नहीं है..मेरे भी नहीं..क्यों कि एक देवी साक्षात् मेरे घर के मंदिर में प्रतिष्ठित है,और मै पूरे मनोयोग एवं तन,मन,धन से देवी की उपासना करने में तल्लीन रहता हूँ,
प्रतिपल मेरी भक्ति में कोई भूल न रह जाए इस डर से भयभीत रहता हूँ,..ये रचना मै दुनियां की सभी पत्नियों को समर्पित करता हूँ...


आज कल हम लोग पत्नी युग में जी रहे है,
उन्ही का दिया हुआ खा पी रहे है,
इस युग में पत्नी भक्ति बहुत जरुरी है,
बिना भार्या भक्ति के जिंदगी अधूरी है,
यूँ तो मेरे जैसे श्रद्धालु बहुत मिल जायेंगे,
आप एक्सरे निगाहों से देखेंगे तो कई पत्नी भक्त पाएंगे,
कवि होने के साथ सरकारी कर्मचारी हूँ,
पहले माता पिता का था अब पत्नी का आज्ञाकारी हूँ,
 हमारी पत्नी का स्वभाव बड़ा नरम है,
उनके समक्ष मौन रहना मेरा मुख्य धरम है,
प्रातः काल बेड टी देना मेरी नित्य क्रिया का हिस्सा है,
आगे का हांल सुनिए एक रोज का किस्सा है,
दफ्तर से शाम को घर आया तो पत्नी को नदारद पाया,
किसी बात पर नाराज हो मायके चली गयी थी,
अपने तीन प्रतिनिधि मेरे पास छोड़ गयी थी,
बेटे से पूछा,चंदू मम्मी क्या अभी से सो गयीं
चंदू बोला वो तो नानी के यहाँ गयीं,
फिर तो मै अपने आप को कोसने लगा,
क्या गलती हो गयी इस विषय में सोचने लगा,
दाल में नमक तो बिलकुल सही था,
कही छोला ज्यादा कड़वा तो नहीं था,
मैंने चाय भी नहीं पी थी पर उनको जरुर दी थी,
ना जाने क्या बात हो गयी,
जो अपनी एक क्षत्रछाया से मुझे वंचित कर गयीं,
इसी उलझन में फंसा हुआ,गले तक पत्नी प्रेम में धंसा हुआ,
पहुच गया ससुराल,ससुर ने देखते ही पूछा हालचाल,
मैंने कहा बाकी तो सब ठीक है,
परेशानी केवल एक है,
आपकी बेटी का मूड पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री की तरह उखड़ा हुआ है,
जबकि हाल ही में हमारे बीच जिनेवा समझौता हुआ है,
कि हम दोनों के बीच अब प्रेम की गंगा बहेगी,
मुझसे कोई गलती हो तो अपने मुख से वो जरूर कहेगी,
पर मुझे चेतक समझ उन्होंने अपनी पुतली फिराई,
किसी नेता कि तरह वादा खिलाफी दिखाई,
आदरणीय पिता जी कृपया आप ही बताएं,
कि कर्ज रुपी बोझ से लदी गृहस्थी की गाड़ी,
हम एक पहिये पर कैसे चलाये,
ससुर को मेरे ऊपर रहम आया,
सास को "माँ जी" कह कर बुलाया 
माँ ने मुझे देखते ही नाक भौं सिकोड़ी,
सरौते के बीच दबी हुई सुपारी झटके से तोड़ी,
इत्मीनान से बैठ कर हमसे कहा,अब क्या लेने आए हो यहाँ,
विदा के समय ६ हट्टे कट्टे आदमी लगे थे कार के अंदर बिठाने में,
२ चादर १ दरी भीग गई थी चुप कराने में,
२ मन की लड़की १ मन की रह गई,
तुम्हारे जुल्म इतने दिन न जाने कैसे सह गई,
मेरी जबान तालू से रही चिपकी,
माता जी तानो की देती रही थपकी,
मैंने कहा माता जी, मै आपकी बेटी पर दिलो जान से मरता हूँ,
पत्नी के सिवा दुनियां में किसी से नहीं डरता हूँ,
काश पूरी दुनियां के पति मेरे जैसे हो जाएँ,
तो साम्प्रदायिकता से छुटकारा मिल जाए,
क्यों कि तब हर् पति पूजा घर में पत्नी का चित्र लगाएगा,
देश से जाति,रंग,मजहब का भेद भाव जड़ से खत्म हो जाएगा,
मेरे ह्रदय में पत्नी के लिए अंध भक्ति है,
हमारे विचार से बीबी ही दुनियां की सर्वोच्च शक्ति है,
इसलिए दहेज ले कर अपना मत गिराइये दाम,
दुनियां भर की पत्नियों को मेरा शत शत प्रणाम....मेरा शत शत प्रणाम....

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी पत्नी भक्ति पसन्द आयी
    इस लिये टिप्पणी करने की ज़हमत उठायी
    फ़ेसबुक पे शेयर करते तो मज़ा आ जाता
    टिप्पणियों का भन्डार लग जाता

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  2. हम आप है भाई भाई ,
    इसीलिए आपको और ज्यादा पसंद आई

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  3. उत्तर
    1. रंजना जी ,आपका बहुत बहुत आभारी हूँ ,,आप नियमित रूप से ब्लॉग पर आती है और कविताओं पर अपने विचार व्यक्त करती है ......

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  4. क्या बात है भैया कुछ ज्यादा ही पत्नी व्रता है ..नमस्ते भैया

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