योह द्याखो भारत मा कइस खड़मण्डलु होइगा,
"विदेसी"गंगाजली,देसी कमण्डलु होइगा,
मंहगाई रूपी नीर बहाएन भारतु मां,
औ सम्मान देसु का चौपट कीन्हेन स्वारथ मां,
अरे यहु तौ अब बेसरम पौध डण्ठलु होइगा,
योह द्याखौ भारत मा कइस.....
मजबूरी का हरदम गाएस है योह गाना,
चुप्पी साधे कुर्सी पर बइठा बलवाना,
मारे पानी आँखिन का यो बण्डलु होइगा,
योह द्याखौ भरतु मा कइस.......
साशन औ अनुसासन का यो नाम डुबोएस,
अकल मा एहिके पाथर परिगे इज्जत खोएस,
धान का बोझा अस यो मूड़े का कण्डलु होइगा,
योह द्याखौ भारतु मा कइस खड़मण्डलु होइगा।
सोनचिरइय्या देसु का यो मरघटु कई दीन्हेस,
देश के मुखिया की जबते यो पदवी लीन्हेस,
कुटिल लीडरन का भारत अब जंगलु होइगा,
योह द्याखौ भारत मा कइस खड़मण्डलु होइगा।
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