बुधवार, 6 जुलाई 2011

माया की महिमा..

अपने शहर कानपुर की दुर्दशा देखी ना गई, अतः शब्दों के माध्यम से ह्रदय की पीड़ा को द्रश्यांकित करने का प्रयास किया है...


झूम झूम के बरखा नाची,पवन हुई दीवानी,

कानपुर की फूटी किस्मत घरों में भर गया पानी,

दिखलाया फिर कीचड़ ने भी अपना असली रूप,

गर्मी का अनुपात बढ़ गया निकली खुल कर धूप,

कीचड़ हँस के बोला मुझसे क्यों डरते हो भाई,

कानपुर की शान देश में हमने ही बढ़ाई,

बच कर जितना चलो मगर हर इंसा फिसल रहा है,

गिर गड्ढे में जाम में फंस कर दम तक निकल रहा है,
 
आजिज है सब नगर निवासी बच्चे बूढ़े पट्ठे,

कोई तो बोलो गड्ढे में है कानपूर या कानपुर में गड्ढे,

गजब नजारा कानपुर का बदल रहा है पल पल,

सम्हल के चलना जमीं दिख रही लेकिन होगा दलदल,

बौराई है मक्खी सारी कैसे भिनक रहीं है,

बोदे पर कर ता ता थैया कैसे थिरक रही है,

कम्पू है ऐतिहासिक नगरी है इतिहास गजब का,

कानपुर में आकर देखो करो सामना सच का,

मैनचेस्टर है भारत का यहाँ है राजे महाराजे,

सभी रोड पर है गड्ढे जो अभी खुदे है ताजे,

कदम कदम पर मुश्किल फिर भी कमी नहीं है प्यार की,

कानपुर में बिखरी महिमा मायावती सरकार की.


सब मिल के बोलो कर्मनिष्ट कर्तव्यनिष्ट साध्वी बहन मायावती जी की जय..............

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