तुम हमेशा साथ रहीं मेरे,
ये मान कर कि मै तुम्हे प्यार नहीं करता,
मैने कई बार कहा कि ये सही नही है,
लेकिन तुम अपने मन मे उपजे विश्वास पर अटल रहीं,
अटल मै भी रहा अपने कथन पर,
बच्चों का बचपन बीत गया,
मौसम भी बदलते रहे,
करवाचौथ का चाँद और देर से निकलने लगा,,
मै भी रहा तुम्हारे ही पास,
फिर भी,
तुमको नही लगा कि मै प्यार करता हूँ,
तुमसे,
तुम्हारी साँसो की तीव्रता बताती रहती है,
आज भी तुम उसी भरोसे से साथ हो,
कि यकीन कर सको मेरी बात पर,
भरोसा कर सको मेरे भरोसे का,
मै जानता हूँ विश्वास को तुम,
जाहिर नही करतीं खुद पर भी,
कहीं मै ना जान लूँ तुम्हारे विश्वास को,
इसी डर से,
तुम कहीं नहीं जातीं,
कभी नही जातीं,
मुझसे दूर,
ख्वाब में भी,
बस अविश्वास को जीते रहना चाहती हो,
साथ मे रह कर,
behtreen abhiwykti ..........
जवाब देंहटाएंरंजना जी , आभार आपका.....
हटाएंBAHUT SUNDAR .....
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