क्यों कि मै सरकारी नौकर हूँ तो स्वामीभक्ति दर्शाने के लिए ही सही चंद पंक्तियाँ लिखने का प्रयास किया है,
तो आप भी देखिये.....
जिधर भी देखो उधर हो रहा टी पी एम्,
पीछे पीछे अफसर नेता आगे आगे चल रहे जी एम्,
मस्ती में है सभी लोग कुछ लोग बहुत ही है महीन,
लम्बी वाली कलछी ले खुरच रहे यहाँ वहां जमीन,
कुछ बुरुश हाँथ में ले दौड़े,
कुछ जूट का झोंझा ले कर में,
कुछ एप्रेन खोज लगे करने,
कुछ कन्नी काट रहे डर में,
सारे अफसर जुटे हुए,
जुटा हुआ पूरा सेक्शन,
हाँथ पैर यों हिला रहे ज्यों नाच रहे माइकल जैक्सन,
चरों तरफ हड़बड़ी मची,
हो रहा जोर से घमासान,
कुछ लोग लुकैय्या देख रहे मति है जिनकी कुछ चतुर सुजान,
सब महा प्रबंधक जान रहे,
पर भोला शंकर बने हुए,
कर्म निष्ठ कर्तव्य निष्ठ,
श्रमशील समर में डंटे हुए,
कुछ निश्चय कर मंथर गति से,
मन ही मन प्रभु का ध्यान किया,
उठा जूट झोंझा बुरुश,
टी पी एम् आरंभ किया,
अपनी ही टेबल के नीचे जो देखा मैंने प्रथम बार,
पीकदान इक रक्खा था जिसे करता था मै बहुत प्यार,
थूक थूक कर पान मसाला भरता था उसे बार बार,
खूब मुझे समझाते रहते,
मित्र मेरे सब दोस्त यार,
निश्चित मति दृढ प्रतिग्य ह्रदय कर,
उठा लिया उस पीकदान को,
टी पी एम् का समर शुरू कर दिया फेंक उस थूकदान को,
झाड़ पोंछ कर साफ किया फिर टेबल के नीचे का थल,
टी पी एम् सब मिल आज करो न जाने कब आएगा कल...
आपका बुलबुल
राजेंद्र अवस्थी (कांड)
तो आप भी देखिये.....
जिधर भी देखो उधर हो रहा टी पी एम्,
पीछे पीछे अफसर नेता आगे आगे चल रहे जी एम्,
मस्ती में है सभी लोग कुछ लोग बहुत ही है महीन,
लम्बी वाली कलछी ले खुरच रहे यहाँ वहां जमीन,
कुछ बुरुश हाँथ में ले दौड़े,
कुछ जूट का झोंझा ले कर में,
कुछ एप्रेन खोज लगे करने,
कुछ कन्नी काट रहे डर में,
सारे अफसर जुटे हुए,
जुटा हुआ पूरा सेक्शन,
हाँथ पैर यों हिला रहे ज्यों नाच रहे माइकल जैक्सन,
चरों तरफ हड़बड़ी मची,
हो रहा जोर से घमासान,
कुछ लोग लुकैय्या देख रहे मति है जिनकी कुछ चतुर सुजान,
सब महा प्रबंधक जान रहे,
पर भोला शंकर बने हुए,
कर्म निष्ठ कर्तव्य निष्ठ,
श्रमशील समर में डंटे हुए,
कुछ निश्चय कर मंथर गति से,
मन ही मन प्रभु का ध्यान किया,
उठा जूट झोंझा बुरुश,
टी पी एम् आरंभ किया,
अपनी ही टेबल के नीचे जो देखा मैंने प्रथम बार,
पीकदान इक रक्खा था जिसे करता था मै बहुत प्यार,
थूक थूक कर पान मसाला भरता था उसे बार बार,
खूब मुझे समझाते रहते,
मित्र मेरे सब दोस्त यार,
निश्चित मति दृढ प्रतिग्य ह्रदय कर,
उठा लिया उस पीकदान को,
टी पी एम् का समर शुरू कर दिया फेंक उस थूकदान को,
झाड़ पोंछ कर साफ किया फिर टेबल के नीचे का थल,
टी पी एम् सब मिल आज करो न जाने कब आएगा कल...
आपका बुलबुल
राजेंद्र अवस्थी (कांड)
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और आपके द्वारा की गई आलोचनाओं को शिरोधार्य करते हुए, मै मस्तिष्क में संजोता हूँ.....