मेरा प्यार...

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

ट्रेड यूनियन का नेता

बेमतलब की बात है ये वो गुण्डा है या नेता है,
आपतो मतलब इससे रक्खो तुमसे वो क्या लेता है,

बचा नही पाओगे कुछ भी झोंकेगा आँखो में धूल,
लूटेगा सपनो को या फिर सपनो का विक्रेता है,

अपना सपना पूरा करता झूठ दंभ पाखण्ड सहित,
कुर्सी उसकी बची हुई है क्यो की वो अभिनेता है,

खुद के सुख की खातिर ये तो शातिर चाले चलता है,
सुख की इच्छा मत कर बंदे ये तो दुख ही देता है,

दारू गोश्त है अमृत इनका पानी नही ये पीते हैं,
कर्णधार तुम समझो इनको यही आज के नेता हैं,

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